Saturday, July 27, 2013

तुम्हें नहीं परवाह किसी की   
वेपरवाही ओरों की 
आहात किया नहीं 
तुम्हें रिश्ते की परवाह नहीं।
तुम तनहाई मे बहुत खुश हो। 

फिर तुम बहुत नादान हो बंधु 
तुम अपने कोकून से निकलो 
ओरों के साथ कदम ताल से चलो 
लोगों के व्यंग बाण से खुद को तौलो
तुम भावों मे ऊष्मा लाओ 
ओर तुम चोट खा के मुसकाओ ।
तुम न खुदा हो न हैवान 
तुम सिर्फ एक इंसान 
रहना है इन्सानो की बीच न ? संगीता...

2 comments: