Wednesday, December 31, 2014

चलती पहिया समय की

मै समय हूँ  ,
बस निरंतर हूँ गतिमान 
परिवर्तन के 
शाश्वत नियम को कर 
उल्लंघन केबल मै 
सदा से अपरिवर्तित ।
मुझे बांध लो कितने 
दिन ,बार ,ऋतु ,साल मे 
नया या पुराना साल मान 
कर लो  कितना गान
मै सदा से अपरिवर्तित 
कित ने आए ,कितने गए 
कोई न मुझे समझ पाये 
ये महल ये शान ये आन ये बान 
यहीं रहा गया ।
नाम कुछ बहुत शीघ्र 
कुछ देर से 
पर मिट तो जाते हैं  .
समय के पहियों से 
आना ओर जाना यही है सत्य
न कोई साल पुराना 
न कोई साल नया 
मै हूँ समय - बस चलते ही रहना 
ओर बस चलते ही रहना.संगीता....

Monday, February 17, 2014

आमची मुंबई..











सागर में उठती लहरें, 
सड़कों पे भागती गाड़ियाँ,
पटरीयों में दौड़ते लोकल,
आसमान से बरसता पानी,
हमारी मुंबई आर्थिक राजधानी,
जागती मुंबई, भागती मुंबई
आपदा,विपदा में पल को रूकती,
 फिर सरपट भागती मुंबई

हर नए आगतों को डराती मुंबई,
 फिर बाँहों में भर लेती मुंबई,
 कोई भूखा रहता नहीं यहाँ,
क्यों की खाली बैठने देती नहीं मुंबई .(संगीता )