Sunday, June 30, 2019

माटी

यहां माटी वहां माटी
कहाँ नहीं है माटी?
कहीं काली ,कहीं पीली 
बलुआ कहीं चिकनी
तरह,तरह की माटी,
कोई कहाँ मोल तेरे ?
बिखरी इधर उधर
अनमोल माटी..
माटी से फल, फसल
माटी से फूल ,फुलवारी
माटी से घर ,देह,देहरी
माटी से जीव ,जीवन ,क्यारी
करे माटी कुम्हार की चाकरी ।
माटी से सब जग निर्मित
न बना सका कोई माटी ,
सबकुछ माटी में मिट जाता
माटी ठगा माटी का आदमी ।
 *संगीता* 'मीता'