Saturday, July 27, 2013

तुम्हें नहीं परवाह किसी की   
वेपरवाही ओरों की 
आहात किया नहीं 
तुम्हें रिश्ते की परवाह नहीं।
तुम तनहाई मे बहुत खुश हो। 

फिर तुम बहुत नादान हो बंधु 
तुम अपने कोकून से निकलो 
ओरों के साथ कदम ताल से चलो 
लोगों के व्यंग बाण से खुद को तौलो
तुम भावों मे ऊष्मा लाओ 
ओर तुम चोट खा के मुसकाओ ।
तुम न खुदा हो न हैवान 
तुम सिर्फ एक इंसान 
रहना है इन्सानो की बीच न ? संगीता...

Wednesday, July 17, 2013

नित प्रातः इश के ध्यान करती हूँ
मोक्ष के चाहत भी रखती हूँ .
और कदम बढाती हूँ माया की ओर
काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह
के फेरे में हृदय को जख्मी करती हूँ
असत के दल दल में जा
जख्म पर मरहम लगाती हूँ .
पुरानी घाव के दाग सहलाती हूँ .
अपने को बहलाती हूँ .
ममता,प्रेम,करुणा बटोर
अपनों के बिच बाँट आती हूँ .
अपनों के मेले में
रहती बिलकुल अकेली मै.
पर सदा मै मुस्काती हूँ
माया में मै मायावी बन
माया से रिश्ता जोडती हूँ
मै मोक्ष के कामना करती हूँ
मै तो अपने को ही छलती हूं .(संगीता)

Thursday, July 4, 2013

सम्बन्ध

तोड़े कहाँ सम्बन्ध टूटता है
वह सदा अछूता रहता है
दोष दृष्टी के पार
अंतर्व्यथा का रूप ले
ह्रदय में पलता है.

कभी तुलिका में
अपने को परिभाषित करता
अभी गीतों में छंदों
स्व को मुखरित करता
सम्बन्ध कब तोड़े टूटता है

डगर मोड़ लो ,पथ बदल लो
बुद्धि से सौ लगाम कस लो
प्रहरी नियुक्त कर लो
मन से मन का लगाव
यूँ न छुटता है .