Wednesday, December 31, 2014

चलती पहिया समय की

मै समय हूँ  ,
बस निरंतर हूँ गतिमान 
परिवर्तन के 
शाश्वत नियम को कर 
उल्लंघन केबल मै 
सदा से अपरिवर्तित ।
मुझे बांध लो कितने 
दिन ,बार ,ऋतु ,साल मे 
नया या पुराना साल मान 
कर लो  कितना गान
मै सदा से अपरिवर्तित 
कित ने आए ,कितने गए 
कोई न मुझे समझ पाये 
ये महल ये शान ये आन ये बान 
यहीं रहा गया ।
नाम कुछ बहुत शीघ्र 
कुछ देर से 
पर मिट तो जाते हैं  .
समय के पहियों से 
आना ओर जाना यही है सत्य
न कोई साल पुराना 
न कोई साल नया 
मै हूँ समय - बस चलते ही रहना 
ओर बस चलते ही रहना.संगीता....

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