Thursday, December 31, 2015



लो, फिर आ गया एक नया साल ..
एक साल को बिदा दें ,एक से बिदा लें ।
आज है जो नया ,कल होगा वही पुराना
परिवर्तन के चक्र मे सब को है घूमना
कुछ भी नया नहीं , पर लगे नया
वही ,सूरज का उगना ,शाम की ढलना
तारों का खिलना,चंदा का इतराना
भवरों का फूल फूल पर मंडराना
चिड़ियों का बाग मे चहकना
पर महज एक तारीख का बदलना
भर दिया मन मे नयी उमंग, तरंग।
भेद है बस''भाव' का ,ओर कुछ नहीं ।
यही भाव से पूज लेते हैं प्रतिमा को ।
यही भाव से दूर रहते परिजनों के
पा लेते हैं अपनत्व स्नेहाशिश।
कुछ भी नया नहीं ,मेरे स्नेहिजन
पर ये रहा मेरी आप सब को
नया साल के अकूत अभिवादन(संगीता)

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