Thursday, December 30, 2010

कालजयी

काल ,तुमने सबको हर लिया,
                  तुमने छिना  राम ,कृष्ण को ,
वर्त्तमान को बदला अतीत मैं ,
                 पर

याद तो अमर ,अजर है
             स्मृति के आदि न अंत
उसने जीता काल चक्र को ,
               याद
बस वही चिरंतन,वर्त्तमान
             जय किया काल को  बन कालजयी
 उसे अतीत बना कर बताओ .
        published in kadambini masik patrika on 1994 october
written by sangeeta pandey.
                

2 comments:

  1. बड़ी ही सुंदर रचना है संगीता पाण्डेय जी
    काल ,..याद को कैसे मारेगा /
    असल में याद की अमरत्व को प्राप्त है /
    नए साल की बधाई

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  2. याद तो अमर ,अजर है
    satya!

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