खोल दो हर गवाक्ष, हर द्वार ,
आने दो आज ठंडी बयार,
साफ़ कर दो मकड़ी के जाले
बुने थे जो दर्द के रेशे से,
धो पोंछ लो हर गर्द को ,
मायूसी के थे जो विषाद के.
नमीत कोरों में सुरमें लगा लो ,
सुना है ,खुशी निकली है सफ़र पे,
शायद गुजरे तुम्हारे दर से ,
ज़र्रे ज़र्रे मैं खुशबू बिखरने लगी,
सहमी जुबान से आवाज न देना,
माना अरसे से उदासी में जिया ,
इस बार उसे गिरह में बांध लेना.
'सुना है ,खुशी निकली है'
ReplyDeletebeautiful!