Tuesday, June 4, 2013

आज कल में ढल समय बदलता ,
पर काल स्वयं कहाँ बदलता है ?

नदी का जल पल, पल बदलता
पर जल स्वयं कहाँ बदलता है ?

शैशव ,योवन ,जरा तन बदलता
पर आत्मा अजर कहाँ बदलता ?

परिवर्तन चक्र यूँ घूमता जाये ,
फिर परिवर्तन से क्यों विचलित

मौलिकता सदा से अपरिवर्तित
'परिवर्तन से यूं हो न व्यथित .(संगीता)

No comments:

Post a Comment