स्नेह ,प्यार का रिश्ते हजारों
कुछ दर्द के रिश्ते,कुछ प्यार के
फूल सा कोमल, कुछ चुभता शूल .
प्यार को समेट आँचल में तो
दर्द को भी भर दामन मेँ
प्रेम का तू विस्तार कर।
निशा के परे ही दिवस है आता
पतझर के पास ही सदा मधुमास
मूक हो या मुखर ,दर्द सबका बराबर
विचार ,विवेचना तू मत कर
शूल पर फूल का खुशबू भर दे
प्रेम को तू विस्तृत कर दे ।संगीता ....
कुछ दर्द के रिश्ते,कुछ प्यार के
फूल सा कोमल, कुछ चुभता शूल .
प्यार को समेट आँचल में तो
दर्द को भी भर दामन मेँ
प्रेम का तू विस्तार कर।
निशा के परे ही दिवस है आता
पतझर के पास ही सदा मधुमास
मूक हो या मुखर ,दर्द सबका बराबर
विचार ,विवेचना तू मत कर
शूल पर फूल का खुशबू भर दे
प्रेम को तू विस्तृत कर दे ।संगीता ....
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