तुम्हें नहीं परवाह किसी की
वेपरवाही ओरों की
आहात किया नहीं
तुम्हें रिश्ते की परवाह नहीं।
तुम तनहाई मे बहुत खुश हो।
फिर तुम बहुत नादान हो बंधु
तुम अपने कोकून से निकलो
ओरों के साथ कदम ताल से चलो
लोगों के व्यंग बाण से खुद को तौलो
तुम भावों मे ऊष्मा लाओ
ओर तुम चोट खा के मुसकाओ ।
तुम न खुदा हो न हैवान
तुम सिर्फ एक इंसान
रहना है इन्सानो की बीच न ? संगीता...
वेपरवाही ओरों की
आहात किया नहीं
तुम्हें रिश्ते की परवाह नहीं।
तुम तनहाई मे बहुत खुश हो।
फिर तुम बहुत नादान हो बंधु
तुम अपने कोकून से निकलो
ओरों के साथ कदम ताल से चलो
लोगों के व्यंग बाण से खुद को तौलो
तुम भावों मे ऊष्मा लाओ
ओर तुम चोट खा के मुसकाओ ।
तुम न खुदा हो न हैवान
तुम सिर्फ एक इंसान
रहना है इन्सानो की बीच न ? संगीता...
sikta ji sahisandesh diya hai aapne .sundar bhavabhivyakti .badhai .
ReplyDeletedhanybaad shalini ji
ReplyDelete